आपने देखा होगा
बैलगाड़ी के नीचे
किसी कुत्ते को चलते।
समझता है -
वो बोझा उठा रहा है
बैलगाड़ी का, उसे दिशा दे रहा है
ले जा रहा है- खेत से खलिहान, बाज़र, हाट तक
उसके बिना कुछ नहीं होगा
सब रुक जायेगा।
वो नहीं मानता - बोझ ढोते हैं बैल
दिशा देता है चालक, किसान।
ये सब भी बस निमित्त मात्र ही हैं
कर्ता हैं, रचयिता नहीं
साधन हैं, योजक नहीं।
कुत्ता मानता है - वही सब कुछ है।
कुत्ता ही सब कुछ है।
आपने देखा है चारों और - कितने कुत्ते हैं?
डरता हूँ कहीं मैं भी कुत्ता न बन जाऊँ।
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