सुनते हैं भगवान होता है
गरीब का अन्नदाता ,
अमीर का रक्षक।
पूजते हैं दोनों
बड़ी लगन से
बहुत ही मन से
भिन्न भिन्न रूपों में
विभिन्न तरीकों से
एक ही ध्यान से
थोड़े लालच से ।
सोचते हैं
जगतपति हमें कुछ दे जायेगा
तो उसका क्या जायेगा।
यह मेरी कविताओं का छोटा संग्रह है। अपने विचार जरूर व्यक्त करें मुझे प्रसन्नता होगी।