गुरुवार, 29 नवंबर 2018

बच्चों से जंग

बच्चों से छिड़ी जंग भी अजब एक जंग है
जीतने में वो मज़ा कहां जो हारने में है। 

अथवा 

बच्चों से जंग भी अजब एक जंग है
जीतने में मज़ा नहीं वो जो हारने में है। 

बुधवार, 28 नवंबर 2018

लुटेरों को हमने देखा है

अगले ज़माने में लुटेरों की एक जमात को हमने देखा है 
कि अब तो पीर-फ़क़ीर पे भी शक-ओ-शुबा होता है।

अगले ज़माने में इतने लुटेरों को हमने देखा है
अब पीर-फ़क़ीर पे भी शक-ओ-शुबा होता है।

अगले ज़माने में इतने लुटेरे हमने देखे थे
अब पीर-फ़क़ीर पे शक-ओ-शुबा होता है।

अगले ज़माने में इतने लुटेरे को हमने देखा है 
कि पीर-फ़क़ीर पे भी शक-ओ-शुबा होता है।

अगले ज़माने में हमने देखा है लुटेरों की पूरी जमात को देखा है
यकीन कैसे हो किसी पर पीर-फ़क़ीर पे भी शक-ओ-शुबा होता है।

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बताएं कि कौन सा कैसा लगा 
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ख़ुदकुशी का मज़ा किसी को आप सिखलायेंगे क्या
ख़ुद तो हारे बैठे हैं आप किसी को सिखलायेंगे क्या 

ख़ुदकुशी का मज़ा किसी को आप सिखलायेंगे क्या
नाकामयाब रहे है आप किसी को सिखलायेंगे क्या 



शुक्रवार, 23 नवंबर 2018

अहसास

एक अहसास है
वो आस-पास है

दिन-रात ये अहसास रहता है 
वो मेरे ही आस-पास रहता है 

गुरुवार, 22 नवंबर 2018

घोड़े की घास से यारी!!

कौन कहता है
घोड़े की घास से यारी नहीं होती

यारी होती है
बहुत यारी होती है
घोड़ा बहुत चाहता है उसे
वो घास को बहुत प्यार करता है
सोचता है उसके चारों तरफ घास हो
उसके पास ही रहना चाहता है
उसका गुज़ारा नहीं चलता उसके बिना

सुबह शाम चबाता है उसे
बस यही सोचता है
उसे मिला ले अपने में
विलीन कर ले अपने अंदर
एक हो जाये
दो आत्मा एक शरीर
बहुत प्यार करता है उसे

घोड़े की बहुत यारी है घास से
घोड़ा बहुत चाहता है उसे






क्या गम है?

तुम ही तो थे कि कहते थे, तुम हो तो क्या गम है?
तुम ही अब कहते हो, कि तुम हो ये ही तो गम है!

बुधवार, 14 नवंबर 2018

पत्थर का है तो हुआ करे, दिल तो है
बदनसीब हैं जिन्हें ये भी मयस्सर नहीं

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पत्थर का ही सही मगर दिल तो है
वो कितने हैं जिन्हें ये भी नसीब नहीं