हर्ष कुमार की कविताएं
यह मेरी कविताओं का छोटा संग्रह है। अपने विचार जरूर व्यक्त करें मुझे प्रसन्नता होगी।
गुरुवार, 22 नवंबर 2018
क्या गम है?
तुम ही तो थे कि कहते थे, तुम हो तो क्या गम है?
तुम ही अब कहते हो, कि तुम हो ये ही तो गम है!
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