अगले ज़माने में लुटेरों की एक जमात को हमने देखा है
कि अब तो पीर-फ़क़ीर पे भी शक-ओ-शुबा होता है।अगले ज़माने में इतने लुटेरों को हमने देखा है
अब पीर-फ़क़ीर पे भी शक-ओ-शुबा होता है।
अगले ज़माने में इतने लुटेरे हमने देखे थे
अब पीर-फ़क़ीर पे शक-ओ-शुबा होता है।
अगले ज़माने में इतने लुटेरे को हमने देखा है
कि पीर-फ़क़ीर पे भी शक-ओ-शुबा होता है।
अगले ज़माने में हमने देखा है लुटेरों की पूरी जमात को देखा है
यकीन कैसे हो किसी पर पीर-फ़क़ीर पे भी शक-ओ-शुबा होता है।
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कई तरीके से इसे लिखा है
बताएं कि कौन सा कैसा लगा
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ख़ुदकुशी का मज़ा किसी को आप सिखलायेंगे क्या
ख़ुद तो हारे बैठे हैं आप किसी को सिखलायेंगे क्या
ख़ुदकुशी का मज़ा किसी को आप सिखलायेंगे क्या
नाकामयाब रहे है आप किसी को सिखलायेंगे क्या
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