शनिवार, 13 अक्तूबर 2018

क्या मेरा दर्द है


मुझको तो मर्ज़ है, और मर्ज़ का पूरा दर्द है
किसी को तवक्को ही नहीं, मेरा क्या दर्द है


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विश्व हॉस्पिस व पॉलियेटिव देखरेख दिवस पर लिखी
Written on the World Hospice & Palliative Care Day 

अधिकार हमेशा अपना रखना


मैं नहीं चाहता
तेरे मन पर अधिकार रहे मेरा अपना
तेरा मन तो है तेरा अपना

जब चाहो जो चाहो जैसे चाहो करना
करना जो चाहो, चाहो मत करना
बस मन पर अपने अपना काबू तुम रखना
फिर जो भी तुम चाहो करना, करना मत करना

जीवन में जब आ जाये कोई अपना
छा जाये कोई वो तुम पर चाहे जितना
यह अधिकार नहीं तुम उसको देना
बोले तुमको
-        क्या करना, कैसे करना, कब करना

मुश्किल हो कोई, आये कोई भी दुविधा
राय सभी की लेना, उसकी भी सुनना
बात सभी की धरना मन में, पूरा विश्लेषण करना
तब सोच समझ कर निर्णय अपने मन से ही लेना

याद रहे - तुम स्वतंत्र हो, हरदम ऐसे ही रहना
चाहे कोई आ जाये, कितना भी हो जाये अपना
मन पर अपने अधिकार हमेशा अपना ही रखना
मन पर अधिकार हमेशा अपना ही रखना

शुक्रवार, 12 अक्तूबर 2018

धूप में तपिश नहीं तो क्या

धूप में तपिश नहीं तो क्या, उसकी रोशनी से काम ले
जो न मिला उसका क्या गिला, जो है उसको संवार ले