आज का दिन ‘बेटी का दिन’
जग में सब कहते हैं इसको
मुझको भी बोला जब सब ने
सोच में डूबा बैठा हूँ मैं
- कौन दिवस बीता था ऐसे
जब याद न उसकी आयी मुझको
किलकारी से भर देती है
जब भी हम घर पर आते हैं
हंसकर वो हम से मिलती है
ध्यान लगाकर वो पढ़ती है
अच्छे नंबर वो लाती है
नहीं असंभव कुछ भी उसको
सभी काम वो कर पाती है
डॉक्टर है वकील भी है
अध्यापक है अफ़सर भी है
नभ में ऊपर वो उड़ती है
सेना मैं भी वो लड़ती है
कोई क्षेत्र बचा न उससे
बच्चों को वो ध्यान धरे है
बूढ़ों का भी मान करे है
इन बातों को सोच समझ कर
मेरा मत कुछ अलग बना है
आज वो तुम सब से कहना है
एक दिवस की नहीं है बिटिया
वो सदा बसे है मन में मेरे
हर दिन उसके नाम लिखा है
रोज़ सुबह जब उठता हूँ
‘बेटी का दिन है’ - कहता हूँ
‘बेटी का दिन है’ - कहता हूँ