मंगलवार, 17 अक्तूबर 2023

अब जो होगा अच्छा होगा

टूटी सड़क
बिना बिजली का खम्बा
गन्दा पानी भरा गड्रडा
बदबूदार दूषित हवा
दूर तक अन्धकार
घोर अन्धकार
ऊपर से घना कोहरा।

हाथ को हाथ नहीं सूझता
हाथ को हाथ नहीं सुहाता
झपट कर छीन लेता है
कूड़ा-कचरा जो कुछ हो।

आदमी दुशमन है आदमी का
चोरी, डकैती, अपहरण, हत्या
सब होता है यहाँ
व्यापार की तरह।
बस व्यापार नहीं होता
ठप हो गया है।

स्कूल कालेज शान खो चुके हैं
बाकी सब मान खो चुके हैं।

मैं हताश नहीं हूँ, निराश नहीं हूँ।
खुश हूँ।
हर बुरी बात पर खुश हूँ
सोचता हूँ - इससे बुरा क्या होगा
अब जो होगा अच्छा होगा।

**यह कविता उन शहरों की दुर्दशा पर है जो कभी बहुत सम्पन्न होते थे।

रविवार, 30 जुलाई 2023

साथ की बात न पूछो

जब साथ होता है कोई 
हाथों में हाथ लिये कोई
समय थम जाता है 
स्वप्न सा चलता है 
कल का पता होता है 
परसों पर विश्वास होता है 
सब कुछ ठीक होता है
न परेशानी न चिंता 
उसका साथ होता है बस 
हाथों में हाथ होता है बस 

उसको साथ लिए 
बैठे रहते हैं 
हाथों में हाथ लिए 
घण्टों तक चुप चाप 
हजारों बातें करते 
मैंने सुन लिया वो सब 
जो उसने कहा भी नहीं 
उसने समझ लिया वो सब 
जो मैं कहा न पाया कभी
बस हाथों में हाथ लिए 

हाथों में हाथ लिए 
चलते हैं बरसौं साथ 
सम्हालते एक दूसरे को 
आगे धकेलते बढ़ जाते हैं 
कोई मुश्किल रुकावट 
कहाँ टिकती है कभी 
बस रास्ता बनता है 
सफलता की सीढ़ी चढते 
हाथों में हाथ लिए चलते 

साथ का अपना नशा है 
अपना रंग ढंग है 
सबसे न्यारा है, 
सबसे प्यारा है 
सबसे अलग है 
सबसे गाढ़ा है 
सबसे ज्यादा है
चढ़े तो उतरता नहीं 
बस साथ में रहता है 
हाथों में हाथ लिए 

बरसों-बरसों तक 
यूं ही बना रहता  है 
हाथों में हाथ लिए 
उसको साथ लिए 
हाथों में हाथ लिए 

गुरुवार, 27 जुलाई 2023

मैं चली जाऊँगी?

मैं चली जाऊँगी
कह अलविदा सबको
फिर आऊँगी नहीं?
किसने कहा?

मैं जाऊँगी नहीं
रहूँगी यहीं सबके बीच
छा गयी हूँ मैं
दिल, दिमाग़ में मन में
विचार में, जीवन मूल्यों में

समा गयी हूँ सबमें
बच्चों में पाओगे मुझे
नाक कान आँखों में
स्वभाव में आदत में

जैसे तुम सब मुझमें हो
मैं तुम सब में हूँ
रहूँगी यहीं
तुम सब के बीच

मैं जाऊँगी नहीं
रहूँगी यहीं
तुम सब के बीच