मंगलवार, 28 जनवरी 2020

हम देखेंगे

हम देखेंगे
हाँ हम देखेंगे
शाहीन बाग की नौटंकी
हम देखेंगे, जी हाँ हम देखेंगे

बहला फुसला कर लाये
कुछ भूले भटके आये
इन के पीछे छिपे हुए
सब देश द्रोहियों को
हम देखेंगे, जी हाँ हम देखेंगे

नये नहीं हैं ये सब
बस भेष बदलकर आते हैं
एवार्ड बापसी याद है तुमको
कुछ लोगों को डर लगता था
आज़ादी ली हाथों में अपने
फिर मार पीट की सड़कों पर
गाड़ी, दफ़्तर सब जला दिया
इन सबको हम देखेंगे
हाँ हम इन सबको देखेंगे

बच्चे, बूड़े, महिलाएँ हैं
सड़कों पर बैठे दुख पाते हैं
इनकी आड़ लिये बैठे हैं जो
बस ख़र्चा इनका देते हैं
वो छिप कर कब तक बैठेंगे
हम ड़ूंड निकालेंगे उनको
फिर हम देखेंगे,
जी हाँ उन सब को हम देखेंगे

देशद्रोही हैं, आतंकी हैं
स्लीपर सैल के कर्ता हैं
दुश्मन के टुकड़ों पर पलने वाले
टुकड़े करने की धमकी देते हैं
इन सब गद्दारों को हम देखेंगे, 

जी हाँ हम इन सब को देखेंगे

हम देखेंगे
जी हाँ हम देखेंगे