हर्ष कुमार की कविताएं
यह मेरी कविताओं का छोटा संग्रह है। अपने विचार जरूर व्यक्त करें मुझे प्रसन्नता होगी।
शनिवार, 17 अगस्त 2019
हाथ
में
आ
जाओ
तो
जन्नत
मिले
फिसल
जाओ
तो
गमगीन
हों
हम
ये
सारा
जहां
तो
बस
तुम्हीं
से
है
फ़िज़ूल
हैं
बस
कटपुतगी
हैं
हम।
बुधवार, 14 अगस्त 2019
अंशू2.0 नाम है उसका
क्या
कहूँ
उसको
अंशू
य
अंशू
1.0
बहुत
प्यारा
था
गोदी
बैठ
जाना
काँधे
चढ़
जाना
जब
मन
करे
जैसे
बहुत
प्यार
से
हँसते
ख़ुशी
से
मेरे
साथ
रहना
खेलना
प्रसन्न
चित्त
उगली
पकड़
चलना
कमरे
से
बारामदे
तक
फिर
सीढ़
उतरना
मेरे
घर
तक
आना
बोलने
की
शुरुवात
पहले
जो
सुना
बोला
फिर
सोचा
वो
बोला
जो
चाहा
वो
बोला
कुर्सी
पर
बैठ
कर
प्यार
से
बतियाना
स्कूल
में
एडमीशन
बहुत
सवाल
पूछे
गये
पूरा
बराबर
जवाब
रहा
फिर
पूछा
पिता
का
नाम
मुड़
कर
पिता
को
देखा
बोला
-
सवाल
आप से
है
आप
ख़ुद
जवाब
दें
वो
बच्चा
था
तब
अब
बड़ा
हो
गया
है
सोचता
था
जब
मिलूँगा
उसे
याद
दिलाऊँगा
सब
शायद
ज़रूरत
न
होगी
अब
उसकी
एक
बेटी
है
छोटी
सी
प्यारी
सी
वही
हरकतें
करती
है
अपने
बाप
के
जैसी
याद
कराती
होगी
उसे
उसका
बचपन
सभी
हरकतें
ख़ुशियाँ
बिखेरना
हर
ओर
किलकारी
से
घर
भरना
बस
यही
काम
है
उसका
अंशू
2.0
नाम
है
उसका
अंशू
2.0
नाम
है
उसका
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