हर्ष कुमार की कविताएं
यह मेरी कविताओं का छोटा संग्रह है। अपने विचार जरूर व्यक्त करें मुझे प्रसन्नता होगी।
शनिवार, 17 अगस्त 2019
हाथ
में
आ
जाओ
तो
जन्नत
मिले
फिसल
जाओ
तो
गमगीन
हों
हम
ये
सारा
जहां
तो
बस
तुम्हीं
से
है
फ़िज़ूल
हैं
बस
कटपुतगी
हैं
हम।
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