दिखने में बड़ा था
ऊँचा कद, लम्बा शरीर
भारी आवाज़, सब मिलाकर
पीटर एक खतरनाक कुत्ता था
हमारे मुहल्ले के कु़त्तों का सरदार भी
सभी उसका रोब मानते थे
उसके पीछे दुम हिलाते थे।
हम सब बच्चे भी उसको मानते थे
जब कहीं आता दिखाई पड़ता
पता नहीं डर से या आदर से
सीधे खड़े हो जाते थे।
जब कुछ बदमाशी मन में होती
पता नहीं कैसे भाँप लेता था
घुर - घुर करता रास्ता रोक लेता था।
दिनभर-रातभर चौकसी करना - उसका यही काम था।
क्या मजाल कोई चोर उधर मुँह करे।
इतना ही नहीं आस पास के मुहल्ले वाले भी
सुरक्षित महसूस करते थे।
हम सभी को गर्व था
हमारे मुहल्ले में बाहर से चोर नहीं आया था
बाहर के चोर ने चोरी नहीं की थी।
हमारे मुहल्ले में कोई चोर नहीं था
अन्दर के चोर ने चोरी नहीं की थी।
एक दिन बहुत असाधारण बात हुयी
हम सब अचम्भे में यह कैसे हुआ।
पुलिस आयी और नुक्क्ड़, के मकान से
किरायेदार को पकड़कर ले गयी।
सुना गया उन्होंने गबन किया था
लाखों का गबन किया था
बैन्क को जमकर लूट लिया था।
हम सबने आपात कालीन मीटिंग बुलाई
चर्चा हुयी यह कैसे हुआ-
इतना बड़ा चोर, हमारे बीच
किसी को खबर भी नहीं
हमको न रही न सही
सूँघकर जान लेने वाले पीटर को भी नहीं?
बहुत विचार किया
कुछ समझ नहीं आया।
कुछ देर बाद
हम सब अपने-अपने घर चले गये।
प्रश्न हमारे साथ हमारे घर गया।
माँ से पूछा ऐसा कैसे हुआ ।
माँ बोली - शाम को देखना
पीटर कहाँ जाता है।?'
हमारी टीम फिर जुट गयी
दोपहर बाद से ही सारी खबर आने लगी
कब उठा, कब अँगड़ाई ली, किस ओर मुँह किया।
जब धुधलका हो चला
हमने देखा -
पीटर नुक्कड़, वाले घर पर था।
वो उसे रोटी नहीं
माँस, मछली दे रहे थे।
बात हम सब समझ गये
हम लोग बस रोटी देते हैं
ये लोग उसे बोटी देते हैं।
मसालेदार खाना देते हैं
मसाले की गन्ध नाक में भर जाती है।
सूँघने की शक्ति कम हो जाती है
पीटर कुछ बोलता नहीं
खड़ा हो दुम हिलाता है।
हमें विश्वास हो गया-
हमें अन्दर के चोरों को पकड़ना होगा
तो शाकाहारी कुत्तों को लाना होगा।
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