गाता था हँसता मुस्काता था हरदम
कहकहों की गूँज लगाकर
हर महफिल की शान बना रहता था
लगता था - कल था ये
कल फिर होगा
खुश ही रखेगा सबको
ज्ञान ध्यान की बात बताकर
अपने अनुभव का मंथन कर
कुछ मूल मंत्र यह दे जायेगा।
क्या मालूम? पता था किसको?
यह लेटा होगा आज धरा पर
चुप बिलकुल शान्त पड़ा सोयेगा
अश्रु भरी आँखें होंगी सब की
जो भी मिलने आया होगा
महफिल में सन्नाटा होगा।
है मालूम पता है सबको
पूजा होगी मंत्र जाप तर्पण होगा
फिर अग्निदेव को देकर उसको
सब अपनी राह निकल जायेंगे
है मालूम पता है सबको
इस धरती पर फिर
ईशदेव होंगे, कर्मों का लेखा होगा
नहीं साथ में कोई होगा
बस कर्मों का लेखा होगा।
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