शनिवार, 7 फ़रवरी 2009

सभ्यता की पहचान

कचरे के ढ़ेर पर -
प्लास्टिक की थैलियाँ
भिनभिनाती मक्खियाँ
पास खड़ा कुत्ता
कचरे को कुरेदती
उसमें खाना ढूँढती
लाचार आखें
पास ही
लुका - छिपी खेलते बच्चे।

यह सब देखकर मैं समझ गया
मैं जंगल के बाहर आ गया हूँ
किसी शहर के पास हूँ।

अब जंगली लोगों का
कोई भय नहीं
मैं अब सभ्य लोगों के बीच हूँ।

मैं समझ गया-
मैं सभ्य लोगों के बीच हूँ।

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