चोर चोर चोर चोर
चोर चोर की आवाज़ें आ रहीं थीं
मैं भी भागा उस ओर
पहुँचा तो दंग रह गया।
चोरों की जमात इकट्ठा थी
चौकीदार को पीट रहे थे
सब मिल कर पीट रहे थे
चोर -चोर चिल्ला रहे थे
घर के लोग निकल आये
आस पड़ौस के निकल आये
चौकीदार पर बरस पड़े
लोगों का ध्यान बँट गया
चोर घर में घुस गये
सारा माल लूट लिया
सीना तान कर बाहर निकले
चौकीदार को फिर पीटा
फिर फरार हो गये
जब तक लोगों को समझ आया
देर हो गयी थी बहुत देर
अब तो सब समझदार हैं
सब जानते हैं -
चोर मचाये शोर।
2 टिप्पणियां:
excellent sir. the public should understand before it is too late.
आज झूठ इतनी बार बोला जाता कि वही सच लगने लगती है।लोग समझ कर भी नासमझ बनते हैं।
एक टिप्पणी भेजें