यह मेरी कविताओं का छोटा संग्रह है। अपने विचार जरूर व्यक्त करें मुझे प्रसन्नता होगी।
शनिवार, 29 मार्च 2025
एक नपुंसक, गीदड़ वंशज
गुरुवार, 2 जनवरी 2025
सर्दी में सूरज
सर्दी में सूरज
सर्दी का मौसम है आया
देखो मुश्किल कितनी लाया
घना कोहरा है सब ओर
घुस कर बैठ गया है चोर
चलो हम एक प्रश्न उठायें
सूरज को कटघरे में लायें
सूर्य देव अब हाजिर हों
शपथ लेकर हमें बतायें
रोज़ सवेरे काम तुम्हारा
नभ में चमको जगमग कर दो
नयी ऊर्जा सब में भर दो
ठंडी आई तुम कम दिखते हो
बोलो तुम क्या दिक़्क़त आई
क्या जाड़ा तुमको भी लगता है?
बोला सूरज —
सन-सन करती हवा है चलती
मैं भी जाड़े से मरता हूँ
चंदा को तो दिया है तुमने
मुझको भी तुम लाकर दे दो
छोटा-मोटा जैसा भी हो
मुझको एक छिंगोला दे दो
ऊन का एक छिंगोला दे दो
मोटा एक छिंगोला दे दो
नया साल
तुम भी एक विचित्र जीव हो
पूछ रहे मुझसे तुम अब
नये साल में नया है क्या
समझ मुझे पर नहीं है आता
क्यों देख नहीं पाते हो तुम
नये साल में नया है क्या
नया साल है
नयी लहर है
नयी तरंगें
नयी उमंगें
नया तरीका
नया रंग है
नया ढ़ंग है
नयी दिशा है
नयी सोच है
नया विचार है
नयी योजना
नयी सुबह है
नयी हवा है
लोग पुराने हो सकते हैं
पर सोच नयी है
नया सवेरा
तुम भी अब करबट बदलो
आँखें खोलो चश्मा बदलो
देखो आया - नया साल है
नया साल है
नया साल है
नया साल-2025
मैं ख़ुश हूँ
बहुत ख़ुश हूँ
नया साल आया
आज मेरे घर
बहुत आराम से
ठीक तरह से
बहुत ख़ुशी से
कई दिन से चाह थी
राह देखी थी मैंने
नयी आशा है
नयी उमंग है
पूरा उत्साह है
नया साल है
कल क्या होगा?
वही जो आज है
आज से बेहतर होगा
आशा के अनुकूल
उम्मीद पर खरा
चाह के अनुसार
पूरा त्रप्त करता
साल नया है
बना रहेगा हमेशा
बीस पच्चीस का
नया जवान रहेगा
बीस-पच्चीस का
हमेशा बीस-पच्चीस