बिना बिजली का खम्बा
गन्दा पानी भरा गड्रडा
बदबूदार दूषित हवा
दूर तक अन्धकार
घोर अन्धकार
ऊपर से घना कोहरा।
हाथ को हाथ नहीं सूझता
हाथ को हाथ नहीं सुहाता
झपट कर छीन लेता है
कूड़ा-कचरा जो कुछ हो।
आदमी दुशमन है आदमी का
चोरी, डकैती, अपहरण, हत्या
सब होता है यहाँ
व्यापार की तरह।
बस व्यापार नहीं होता
ठप हो गया है।
स्कूल कालेज शान खो चुके हैं
बाकी सब मान खो चुके हैं।
मैं हताश नहीं हूँ, निराश नहीं हूँ।
खुश हूँ।
हर बुरी बात पर खुश हूँ
सोचता हूँ - इससे बुरा क्या होगा
अब जो होगा अच्छा होगा''।
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