गुरुवार, 30 जुलाई 2009

भीड़ में अकेला पन

भीड़ में था मैं खड़ा एकदम अकेला
पास ही में थी खड़ी वो एकदम अकेली
सोच कर कुछ बात फिर वो
बोल उठी मुझ से अचानक
आज फिर हैं साथ दोनों
भीड़ में भी एकदम अकेले।


जिस तरह हों पेड़ वन में
साथ में थे पले बढ़े वो
साथ सदियों से रहे वो
मिल न पाये पर कभी भी
थे साथ हर दम, पर अकेले।


जिस तरह हैं आज फिर हम
भीड़ में भी एकदम अकेले।।

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