कौन रो रहा है वहाँ?
क्यों रो रहा है वो?
उसका कोई मर गया है!
किसने मारा? क्यों मारा?
आखिर क्यों मारता है कोई किसी को!
वहाँ वो चीख रहा है
बन्द डिब्बे में जलता.
कराहता, तड़पता, छ्टपटाता.
पिंजड़े में कैद.
वो दूर वहाँ
वो मरता है
बन्द घर में जलता.
मरते हैं दोनों ओर
बस गरीब, निरीह, निसहाय, असमर्थ.
कोई कु्छ कहता क्यों नहीं?
कोई बचाता क्यों नहीं इन्हें?
मारने वाला बडा हो गया है.
बचाने वाला छोटा पड़ गया है.
रक्षक भक्षक बन गया है.
सिद्धर्थ की कहानी पलट गयी है?
हाँ सब कु्छ पलट गया है!
राम राज्य नहीं है यहाँ?
नहीं है!
है तो बस रावण की माया नगरी.
एक दु:स्वप्न सा लगता है.
द्वारिका नरेश अब नहीं हैं यहाँ !
वापस आयेंगे?
पाप का घडा भरने के बाद!
सौंवीं गलती के बाद
शिशुपाल का वध करने.
तब यह तक मुक्त है
मनमानी करने के लिये
रावण के भेष में
सीता हरण के लिये
जटायू से नहीं संभलेगा.
अवधेश के हाथों ही मरेगा.
पाप का घडा है
भरने के बाद ही फूटेगा
अभी शायद देर है.
आप कतार में हैं
आप प्रतीक्षा में रहें
रुकावट के लिये खेद है.
अभी कुछ देर है.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें