गाँधीवाद पर बहस हो रही थी.
हमारा विचार था
- हम गाँधीवाद से दूर जा रहे हैं
कुछ लोग कहते थे
- गाँधीवाद अब दूर नहीं !
मैंने सोचा
शायद मैं ही गलत सोचता हूँ.
कुछ दिन बाद वस्त्रों के दाम बढ़ने से
लोग लंगोटी पहनेगे.
जब भूख और मंहगायी कमर तोड़ देगी
तो लाठी का सहारा लेंगे.
फिर लोग उसी को
गाँधीवाद कहेंगे !!
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