हर्ष कुमार की कविताएं
यह मेरी कविताओं का छोटा संग्रह है। अपने विचार जरूर व्यक्त करें मुझे प्रसन्नता होगी।
रविवार, 30 अगस्त 2009
भीड़
भीड़
यहाँ, वहाँ
सभी जगह व्याप्त है।
अपने में,
विभिन्न प्रकार के व्यक्तियों को समेटकर
कितनी अशान्त है।
भीड़ का एक व्यक्ति दूसरे से
हर बात में
कितना भिन्न है।
परन्तु
यह आवाज़ तो हर तरफ से आती है
'मुझे', 'यहाँ' और 'इस तरफ'।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें