शनिवार, 19 मार्च 2011

झमेले के बंदर

नन्हीं कली मुझको मिली
हँस के कहा – तुमने सुना
मैंने कहा – नहीं, कुछ भी नहीं

नन्हीं कली मुझको मिली
हँस के कहा – तुमने देखा
मैंने कहा – नहीं, कुछ भी नहीं

नन्हीं कली मुझको मिली
हँस के कहा – तुमने कुछ कहा
मैंने कहा – नहीं, कुछ भी नहीं

उसने कहा – नहीं नहीं क्यों नहीं?
देखा नहीं, सुना नहीं, कहा नहीं
क्यों, क्यों, क्यों, क्यों नहीं?

मुझको पूरा भरोसा है
गांधी के तुम चेले नहीं
अब तो ऐसा लगाता है
तुम भी झमेले के अंदर हो
तुम तो बिलकुल बंदर हो

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