शुक्रवार, 26 दिसंबर 2008

बालिका भ्रूणहत्या

देखो तुम ये छोटी बच्ची, है कितनी अच्छी
प्यारी-प्यारी बातें इसकी, हैं कितनी अच्छी ।

प्यार करूं कितना भी, कम ही कम लगता है
लाड़ लड़ाऊं जितना, पर मन नहीं भरता है ।

मैं सोचता रहता हूं काम इसे कितने हैं
आने वाला कल इस पर ही निर्भर है ।

नई-नई पीढ़ी को दुनिया में ये ही लाएगी
हम इसको जो देंगे दस गुना उन्हें यह देगी ।

सब सीख उन्हें ये देगी, पालेगी-पोसेगी
तकलीफ अगर होगी, तो रात-रात जागेगी ।

इसके दम से ही, हम दम भरते हैं दुनिया में
इसके दम से ही, तुम दम भरते हो दुनिया में ।

पर दुर्भाग्य हमारा देखो, अकल के कुछ अंधे हैं
दुनिया में आने से पहले ही, जो मार इसे देते हैं ।

वो भी क्या कम हैं, जो तंग इसे करते हैं
दहेज की वेदी पर, जो बलि इसकी देते हैं ।

अगर नहीं यह होगी, तो कल भोर नहीं होगी
यह संसार नहीं होगा, यह सृष्टि नहीं होगी ।

हम भी नहीं होंगे, तुम भी नहीं होगे
विश्वास मुझे है तब वो भी नहीं होगा ।

जिसके दम से हम दम लेते हैं दुनिया में
जिसके दम से तुम दम लेते हो दुनिया में ।

तब वो भी नहीं होगा-तब वो भी नहीं होगा।

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