शनिवार, 29 अप्रैल 2017

माँ, चली गयी आज



माँ, चली गयी आज
बीमार थी कई दिन से
अस्पताल में जी घबराता था उसका
मगर घर पर बहुत ख़ुश रहती थी

क्या करते इन्फैक्शन था बीमार थी
बिना अस्पताल राहत न मिलती
ले जाना पड़ा, भर्ती कराना पड़ा
कभी कमरे में होती कभी आईसीयू
बस इसमें सिमट कर रह गयी थी

फिर ऊब गया मन नाराज़ हो गयी
इलाज पूरा हुआ, अब ध्यान रखते हैं
सुबह शाम दवा से मेरा पेट भरते हैं

रूठ जाती, बिलकुल बच्चों सी रूठ जाती
दाँत भींच लेती थी पानी भी नहीं पीती
बहुत बहलाया, डाक्टर ने भी समझाया
कभी मानती, कभी ज़िद पर डटी रहती

दिमाग़ एकदम ठीक, सब पता था उसे
बस शरीर जबाब दे रहा था उसका
एक दिन डाक्टर को रोक लिया उसने
उसने पूछ, कि बेचारा बस चुप रह गया

-इन्फैक्शन तो ठीक हो गया है अब
रह गया है तो बस केवल एक बुढ़ापा
बेइलाज है, क्या इलाज है उसका?
यहाँ देखभाल है, घर पर भी हो जायेगी
बच्चों के साथ रहूँगी, दिल बहल जाएगा
जब बुलाओगे चैक-अप यहाँ कराऊंगी

छुट्टी दें, यहाँ नहीं रहना, घर जाना है मुझे
यहाँ से नहीं, घर से ही जाना है मुझे

फिर घर आयी और घर से चली गयी
जैसा वो चाहती थी, वैसे ही कर गयी

माँ बीमार थी कई दिन से
आज चली गयी
हमेशा-हमेशा के लिये चली गयी

6 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

असहनीय सत्य।

sanjaoyBlog ने कहा…

Touched my heart 😱

anil ने कहा…

माँ एक अहसास है
जो माँ के होने पर
न होने पर
रहता ही है
माँ लाई, माँ पाली
और छोड़ कर चली गयी
जाना तो है सबको
पर माँ
तेरा जाना अखर गया
माँ तेरे न रहने से
घर आँगन जैसे
बिखर गया
माँ को समर्पित

सीमा स्‍मृति ने कहा…

सत्य

Unknown ने कहा…

सच आखों मेें पानी भर लाई सर आपकी यह मां की याद और मेरी माँ की अस्पताल वाली छवि आंखो के सामने डोलने लगी।
एक मां के अंतिम क्षणों की पीड़ा को वे लोग क्या महसूस करेगे जो उन्हे वृद्धाश्रम मे छोड आते है

manisha kesan ने कहा…

जीवन का ये सत्य है तो असहनीय पर हम यहाँ पर ाके हार जाते है आपकी अपनी माँ की प्रति श्रद्धा मेरी आँखों को भी नाम कर देती है

एक टिप्पणी भेजें