गुरुवार, 27 अप्रैल 2017

चिड़िया को मत बन्द करो तुम

आओ बच्चों तम्हें सुनाऊँ।
एक कहानी बहुत पुरानी ।।
नन्ही सी एक चिड़िया रानी।
मेरे  घर  में  आती  थी ।।

कूक-कूक कर मुझे बुलाती।
किलकारी से घर भर जाती ।।
मीठे  सुर  में  गाना  गाती ।
हम सब का वो दिल बहलाती ।।

जब भी उसका मन करता था।
बहुत दूर वह उड़ जाती थी।।
भूख लगी तो घर को आती ।
वरना वो बाहर रह जाती ।।

एक दिवस को नटखट चुन्नू।
जाल बिछा कर बैठ गया।।
चिड़िया को उसने पकड़ लिया।
पिंजड़े में फिर जकड़ दिया।।

चिड़िया अब मुश्किल में थी।
चुन्नू  के  कब्जे  में  थी ।।
गाना उसने बन्द किया।
अनशन पानी ठान लिया ।।

चुन्नू ने उसको ललचाया।
लड्डू पेड़े  खाने को लाया ।।
चिड़िया बिलकुल बदल गयी थी ।
सूरत  उसकी  उतर  गयी  थी ।।

चिड़िया थी मन की रानी।
आँखों में था उसके पानी।।
मैंने फिर पिंजड़ा खोला।
चिड़िया को बाहर छोड़ा।।

फुर से चिड़िया निकल गयी।
दूर  डाल  पर  बैठ  गयी।।
पहले  उड़  ऊपर को  जाती।
फिर गोता मार नीचे को आती।।

मीठे सुर में गाना गाती।
मकारीना नाच दिखाती।।
कितनी खुश चिड़िया रहती।
जो मन  आया  वो  करती।।

एक बात  की  सीख करो तुम।
चिडि़या को मत बन्द करो तुम।।
जितनी  खुश  चिड़िया होगी।
उतने  खुश  तुम  भी  होगे।।

चिड़िया को मत बन्द करो तुम।
चिड़िया को मत बन्द करो तुम।

1 टिप्पणी:

सीमा स्‍मृति ने कहा…

सत्‍य जितनी चिडिया खुश होगी
उतने खुश तुम भी होगे

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