सोमवार, 5 अक्तूबर 2020

कितने निष्ठुर हो तुम

कितने निष्ठुर हो तुम 

किसी की सुनते नहीं हो 
किसी को देखते नहीं हो 
कोई कितना भी चीखे 
तुम्हें कोई चिंता नहीं, परवाह नहीं 

किसी की मृत्यु का समाचार 
तुम्हें कोई अंतर नहीं पड़ता 
वो मर गया – अपनी बला से 
उसको मार दिया – उनकी बला से 

तुम देखते तो होगे सब कुछ 
सुनते होगे जनता का शोर 
कैसे सह लेते हो सब 
फिर भी चुप रह जाते हो 

समझते हो सहनशील हो 
नहीं सहनशील नहीं हो 
बस संवेदनहीन हो तुम 
बहुत निष्ठुर हो 

तुम बड़े हो, 
दिल को बड़ा करो ! 
अपने आप से पूछो 
– क्यों हो तुम ? 
   इतने निष्ठुर क्यों हो तुम?