किसी की सुनते नहीं हो
किसी को देखते नहीं हो
कोई कितना भी चीखे
तुम्हें कोई चिंता नहीं, परवाह नहीं
किसी की मृत्यु का समाचार
तुम्हें कोई अंतर नहीं पड़ता
वो मर गया – अपनी बला से
उसको मार दिया – उनकी बला से
तुम देखते तो होगे सब कुछ
सुनते होगे जनता का शोर
कैसे सह लेते हो सब
फिर भी चुप रह जाते हो
समझते हो सहनशील हो
नहीं सहनशील नहीं हो
बस संवेदनहीन हो तुम
बहुत निष्ठुर हो
तुम
बड़े हो,
दिल को बड़ा करो !
अपने आप से पूछो
–
क्यों हो तुम ?
इतने निष्ठुर क्यों हो तुम?