कली एक और
खिल गई है
बाग में मेरे
छोटी है, सुंदर है
रोती है हँसती है,
सोती है जगती है
दूध पीती है सो जाती है
हरदम मस्त रहती है
अभी छोटी है
पर अपनी पहचान है
इसकी अपनी हस्ती है
अपना व्यक्तित्व है
अपनी समझ है
नासमझ मत समझना
ठीक से समझो इसे
देखो चतुर है कितनी
किलकारी से, चीख से
रो कर, हंस कर
अपनी हर बात
बता देती है अपनी माँ को
हर बार, एक दम साफ़
फिर करा लेती है
सब कुछ जो भी चाहती है
दिन रात जब चाहती है
अपनी माँ से कराती है
बच्ची छोटी है
अच्छी है प्यारी है
सबकी दुलारी है
मेरे बाग की नयी कली
कितनी प्यारी है
मेरे बाग की नयी कली