मेरे मित्र श्री मुकुल मरवाह से कुछ शेर और शायरी पर आदान प्रदान होता रहता है तो उस प्रवाह में कुछ शेर आ जाते हैं । अब यह तय किया है कि उन्हें यहाँ लिख दिया जाए।
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ज़िन्दगी में जब तलक जिगर में दिल्लगी होगी
ज़िन्दगी से ज़िन्दगी कभी भी कम नहीं होगी
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पाक सफ़ा हैं महफ़िल में वो जो शेर कहते हैं
गुनहगार बस हम ही हैं जो मुक़र्रर कहते हैं