शनिवार, 14 मार्च 2020

कोरोना किच्छू कोरेना


क्या लिखूं मैं सोच रहा हूं
लिख दूं क्या जो देख रहा हूं? 
नकाब पोश ये लोग यहां हैं
मुंह पर कपड़ा बंधा हुआ है
घबराहट चेहरे पर दिखती
हाथ हमेशा धोते रहते हैं

क्यों करते हैं ये सब ऐसा?

कोरोना का भूत है छाया
चीन से चल कर यहां है आया
तीन माह बस उमर है इसकी
दुनिया भर पर पकड़ है इसकी
इंग्लैंड, अमरीका, फ्रांस और रूस
इटली में सबको दिया है ठूंस

भारत में भी घुस आया है
पर समझ नहीं हमको आया है
क्या कर लेगा हम सब का ये?
सुनते हम सब बचपन से हैं
मां कहती थी, बापू कहता था
भाई बहन भी कहते रहेते थे
- ये करोना, वो करोना 
बड़ा हुआ फिर लगी नौकरी
सोचा इससे छुट जाऊंगा
आफिस पहुंचा बॉस ने बोला
- ये करोना, वो करोना 

फिर शादी की बारी आयी
राजा बन घोड़े पर बैठा
सोचा अब मन की कर लूंगा
सपना मेरा टूट गया फिर
जब पत्नी ने बोला मुझसे
- ये करोना, वो करोना 

इतना सब हम सुनते आये हैं
अभ्यस्त हुये हैं हम सब इसके
खाल हमारी हो गयी मोटी
जहां भी चाहे ये जायेगा
हमें नही कुछ कर पायेगा

विश्वास मुझे है ये पूरा
- कोरोना किच्छू कोरेना
कोरोना किच्छू कोरेना