शनिवार, 17 अगस्त 2024

शाश्वत

मैंने देखा था 

एक छोटा सा बच्चा

 इधर उधर भागता 

खेल कूद में मस्त 

न कोई फिक्र , न कोई चिंता 

स्कूल से घर फिर खेल

खाना खाया फिर सोया 

कल फिर स्कूल 

ये बिलकुल  चैन से था

ये बेफिक्र था, 

हम सबको चिन्ता थी


अब बदल गया है कितना 

स्कूल  पढ़ाई होमवर्क 

रिवीज़न टेस्ट परीक्षा 

फिर कल की तैयारी 

डॉक्टरी का सपना 

‘नीट‘ की परीक्षा 

गनतत्व पर ध्यान


समझ गया है

दायित्व है इसपर

अपने कल का

हमारे कल का

हमारे स्वास्थ्य का

हमारे कल के स्वास्थ्य का

अपने भविष्य के जीवन का

ध्यान है इसे हरदम


आयु में छोटा है अभी

पर बड़ा हो गया है

समझदार हो गया है

बहुत समझदार हो गया है

हाँ और लम्बा भी

पिता से दो इंच ऊपर


इसमें लगन है समझ है

कड़ी मेहनत का पक्का इरादा है

मुझे भरोसा है पक्का विश्वास है

ये जायेगा सबसे ऊपर

सफलता के शिखर पर

जो चाहेगा कर लेगा

जब चाहेगा कर लेगा


तुम चैन से रहो, परेशान मत रहो

इसको करने दो, जो चाहे करने दो


याद रखना, ये शाश्वत सत्य है

    बालक जब चाहेगा 

    अपने मन में ठान लेगा  

    दिन- रात एक कर देगा 

    जो भी चाहेगा कर लेगा


तुम परेशान मत हो 

जो भी चाहेगा ये कर लेगा

तुम चैन से रहो, परेशान मत हो 

तुम चैन से रहो, परेशान मत हो

अनिक्षा

कौन है ये

नटखट, शरारती

भोली नादान

ख़ुशियाँ बिखेरती 

मेरे आँगन में घूमती


ये लेकर भागी वहाँ 

वो ले गयी वहाँ 

घर अस्त व्यस्त किया

सब उलट पलट किया

बटोरा दिया एक ओर


गोल सुन्दर चेहरा

बड़ी-बड़ी आँखें 

अपने दादा सी दिखती 

दादागिरी करती सब ओर


अनिच्छा से नहीं आई

हमारी प्रार्थना का फल है


नाम क्या है इसका?


अनिक्षा नाम है इसका

घर ख़ुशियों से भरा है इसने

यह अनिक्षा है

क्यों मौन हो तुम ?

आज तुम मौन हो ?

तुम्हारी चुप्पी का शोर 

कान के पर्दे फाड़ रहा है 

बहुत परेशान कर रहा है 

सभी सोच रहे हैं 

क्या हो गया तुम्हें ?

कहाँ छुपे हो तुम ?

आज क्यों मौन हो तुम ?


घटना तो बहुत दूर की बात है 

ज़रा अंदेशा हो, शुरु होते थे 

ज़ोर से चीखते चिल्लाते थे 

आसमान सिर कर देते थे 

और आज चुप हो तुम?


कुरु सभा की सीमा से परे 

इतने घृणित कृत्य पर 

इतने निन्दनीय कृत्य पर

इस भयंकर काण्ड पर

तुम चुप हो !?

आख़िर क्यों चुप हो?


हाँ, समझा

काण्ड तुम्हारे अपनों का है

तुम्हें डर है - फाँसी होगी?

जनता नौंच कर खा जायेगी

नाश हो जायेगा उनका


हाँ नाश तो होगा उनका

अवश्य ही नाश होगा उनका

साथ ही नाश होगा 

हर चुप रहने वाले का

और होना भी चाहिये

कुरु सभा की तरह

गुरु, पितामह, भई सबका


यहाँ मोमबत्ती नहीं जलाते

पूरी लंका ही फूंक देते हैं 

आततायी का वध होता है

अर्जुन संहार कर देता सबका

स्वयं राम कर देते है 

समूल समस्या समाधान


तुम मौन न रहो

छुपो मत, बाहर आओ

चुप्पी तोड़ो ज़ोर से चीखो

डाक्टर की आत्मा पुकारती है

धिक्कारती है तुम्हें 

बाहर निकलो चुप्पी तोड़ो

न्याय दिलाओ, न्याय दिलाओ

ज़ोर से चीखो और चिल्लाओ

न्याय दिलाओ, न्याय दिलाओ