नित नये-नये ये रंग भरे
नाक पर ग़ुस्सा रहता है इसके
पर झटपट सब को शांत करे।
नेह लिए बोली में भरे
काम भी करती सभी खरे
सीधा-सादा नहीं समझना
ये नाक में सब के चने भरे।
शिवा ने दिया वर मोहे है
मैंने घर भी संभाल लिया है
पर काम नहीं छोड़ा है मैंने
सब को पल्लू में बाँध लिया है।
रूप रंग में न्यारी सबसे
रंग ढंग में प्यारी सबसे
दौड़ लगाती नीचे ऊपर
हंस कर झटपट काम करे।
मोह लिया है सबको इसने
काम भी सारा सीखा है इसने
इसको बच्चा नहीं समझना
लंबी दौड़ में जाना है इसने।
राम लला जी नाम है इनका
सबसे अलग ही काम है इनका
ये जल्दी-बाजी कभी न करते
पर काम टका टक रहता इनका।
संजय ने रास्ता दिखलाया
काम सभी यह छोड़कर आया
दीन दुनिया से नहीं कुछ लेना
जो बोला बस वो कर लाया।
कल्पना की कल्पना करो तुम
सुबह करो तुम, शाम करो तुम
उसकी दक्षता की कल्पना मगर
कभी भी कर नहीं पाओगे तुम
हरि ईश जहां पर रहता है
हर शीश वहाँ पर झुकता है
तुम इसको मानो, मत मानो
अनहोनी को होनी करता है
धनश्री, लक्ष्मी जी को कहते हैं
यह प्रधान सभी से, पहले आतीं हैं
भारत के कौने- कौने में जाती
यह कष्ट सभी के हर लेती हैं
सोने की मोनाल को ‘सोनल' कहते हैं
यहां वहाँ सब ओर जहां में चहके है
जहां कहीं भी, जब भी तुम जाओगे
अमिट छाप बस इसकी पाओगे
मुकुल सदा ही कूल रहे है
'मार' नहीं यह 'वाह' करे है
भीष्म सरीखा खड़ा अकेला
विपदायें यह दूर करे है
श्रीनाथ का द्वार खुला है
श्रद्धा से जब दस्तक दोगे
कष्ट तुम्हारे जो भी होंगे
दूर सभी वो झटपट होंगे
हंसता चेहरा शोक नहीं है
अनुभव का भंडार भरा है
जो वृक्ष फलों से लद जाता है
बस वो ही तो झुक पाता है!
व्यस्त काम में अपने हरदम
पर मीत सभी की बनी हुई है
अमित भंडार भरा महाजन
गिन्नीओं में सब को तोले है
ऋतु अच्छी है ठंड नहीं है
घिस कर चंदन रोज लगाओ
अंकित अपनी छाप करो तुम
दीपक को तुम रोज जलाओ
सुमित सरीखा मित्र सभी का
कपिल को कैसे भूल मैं पाता
अजय पुकारो तुम सब इसको
बिजय सदा ही है यह पाता
मीना जी हैं कभी न थकती
पढ़ा लिखा कर सबको रखतीं
निराश, हताश कोई न होए
हूँ माँ जी इसका ध्यान हैं करतीं
डरो नहीं तुम निर्भय रहना
कपीश नाम की माला जपना
अंश नहीं तुम पूरी करना
प्रकाश पुंज दिल में तुम रखना
विश्व जीत कर तुम आओगे
लोग प्रदान भी कलश करेंगे
तोड़ सितारा घर लाओगे
जग में अपना नाम करोगे
पप्पू जी की हंसी न करना
है पेट सभी का इनको भरना
आदित्य सरीखे चलते जाना
कर्तव्य मार्ग से कभी न हटाना
लो माना हमने भी, सच है
पूनम का चाँद बड़ा होता है
पर नित घटता है, बढ़ता है
वो सदा एक सा कब रहता है
- Friends!
Here is a challenge. One who is first to recognize all the people correctly will get a signed copy of this poem. Best wishes.