मुझसे कहते हो - लिख डालूँ
जो चाहूँ जैसे भी, लिख डालूँ
लिख डालूँ, जो करना चाहूँ मैं
जैसे भी, जब चाहूँ करना मैं
रुक कर, बार-बार मैं सोच रहा हूँ
- क्या भायेगा तुमको भी
जो मेरे मन में आएगा ?
जो मैं करना चाहूँगा ?
अब मन पक्का कर लिखता हूँ
जो तुम कहते हो, पाठ पढ़ाते हो
कैसे कहते हो, कितना कहते हो
कब कहते हो मुझसे तुम वो
कहते हो कैसे, कैसे समझाते हो
नित दिन तोला करते हो मुझको
कहते भी हो, कैसे तोलोगे मुझको
परीक्षा ले जाँचोगे फिर सबको
बोलोगे सही रहा वो कितना
कितना फिर वो गलत हुआ
कितना अच्छा काम करो हो
माने है सब कोई जिसको
है विश्व पटल पर नाम तुम्हारा
आओ सोचें, इस पर शोध करें
शिक्षा गुणवत्ता की बात करें ?
देखें, समझें कैसे आती है वो
विश्वविद्यालय में कहने की बातों में
विद्या-अध्यन के कार्यकलापों में
लिखने-पाठ पढ़ाने और परीक्षा में
कैसे रहती है, आती है कैसे
कैसे उसका पाठ पढ़ाएं
कैसे बतलाएं औरों को
क्या करते है कैसे करते हैं
कैसे सीखें उनसे, क्या सीखें
क्या सिखाएं उनको, कैसे सिखलाएं
विश्व पटल पर तुमसे कितने हैं?
कहां पहुंचना चाहो हो तुम
कहां पहुँच पहचान बनाओ तुम
इन सब बातों की बात करें ?
शिक्षा गुणवत्ता की बात करें?
बरसों की इच्छा है, सोचूँ इस पर
सोचूँ , कागज सारे पढ़ डालूं
मिल कर बैठूँ साथ सभी के
विद्वानों से चर्चा कर लूँ
सोचूँ, फिर बार-बार मैं सोचूँ
सार निकल कर आए जो कुछ
जैसा निकले, वैसा लिख डालूँ
मानो यदि तुम बातें ये मेरी
मन चाहा काम मुझे मिल जाएगा
आशा है मुझको, पूरी आशा है
यह काम सभी के भी आएगा
करबद्ध प्रार्थना है यह तुमसे
शोध प्रस्ताव तुम मानो मेरा
काम मुझे यह करने दो तुम
नत मस्तक हो जीवन भर
मान तुम्हारा किया करूँगा
मान तुम्हारा किया करूँगा