मैं सोचता था-
आँगल भाषा बोली जाती है
दुनिया भर में, हर कोने में
इसका प्रेमी तुमको दुनियाँ में
सभी जगह पर मिल जायेगा
इसको जानोगे तब ही कुछ पाओगे।
नहीं पता था मुझको लेकिन
आँगल देश के पश्चिम में
वेल्स नाम का प्रान्त है कोई
वहाँ पर इसको
नहीं जानता हर कोई
नहीं प्रेम है सबको इससे
नहीं बोलता हर कोई।
मैं अज्ञानी था
नहीं पता था मुझको बिलकुल
चिराग तले पर अन्धकार इतना होगा
जिसे नहीं जानता हर कोई
नहीं पता है सबको इसका
नहीं समझ है सबको इसकी
नहीं जानता हर कोई ।
यह मेरी कविताओं का छोटा संग्रह है। अपने विचार जरूर व्यक्त करें मुझे प्रसन्नता होगी।
शनिवार, 24 जनवरी 2009
शनिवार, 17 जनवरी 2009
चित्रा
नन्हीं सी जान बहुत छोटी थी
छोटे-छोटे हाथ-पैर, गोल चेहरा
बड़ी-बड़ी काली आँखें
कभी हाथ पर खड़ा करता
कभी काँधे पर उठाता उसको
छुट्टियों में जब घर जाता
दौड़कर चली आती थी मेरे पास
जब समय मिलता मेरे साथ ही रहती थी
दिनभर बातें या बस चुपचाप मेरे साथ रहना
यही एक काम था उसका
कहानियों की किताबें इकट्ठा करना
ला लाकर मुझे देना
सबसे जरूरी काम था उसका
वही बताती थी
मुझे सारी खबर - पूरे मोहल्ले की
– क्या हुआ?
कौन कहाँ गया? कौन कहाँ से आया?
सब का सब - पूरा ब्योरा।
जब सोचता हूँ
बीते कल के बारे में
सब कुछ एक पल में दौड़ जाता है फिर से
जैसे समय थम गया हो
और साफ उभर आता है
मेरे दिमाग में हर चित्र
उस समय का और ‘चित्रा’ का भी
हाँ चित्रा ही तो नाम है
उस नन्हीं सी जान का
प्यारी सी बहन का।
छोटे-छोटे हाथ-पैर, गोल चेहरा
बड़ी-बड़ी काली आँखें
कभी हाथ पर खड़ा करता
कभी काँधे पर उठाता उसको
छुट्टियों में जब घर जाता
दौड़कर चली आती थी मेरे पास
जब समय मिलता मेरे साथ ही रहती थी
दिनभर बातें या बस चुपचाप मेरे साथ रहना
यही एक काम था उसका
कहानियों की किताबें इकट्ठा करना
ला लाकर मुझे देना
सबसे जरूरी काम था उसका
वही बताती थी
मुझे सारी खबर - पूरे मोहल्ले की
– क्या हुआ?
कौन कहाँ गया? कौन कहाँ से आया?
सब का सब - पूरा ब्योरा।
जब सोचता हूँ
बीते कल के बारे में
सब कुछ एक पल में दौड़ जाता है फिर से
जैसे समय थम गया हो
और साफ उभर आता है
मेरे दिमाग में हर चित्र
उस समय का और ‘चित्रा’ का भी
हाँ चित्रा ही तो नाम है
उस नन्हीं सी जान का
प्यारी सी बहन का।